खबर है की मशहूर कलाकार और सेल्फ़ इंपोज़्ड एग्ज़ाइल में जी रहे एम एफ हुसैन साहब ने क़तर की वतनियत कबूल की हैं.
एम एफ हुसैन साहब अपने वक़्त के माशूर कलाकार रहे हैं और अपने आप में कला के इन्स्टिट्यूशन हैं जिन्हे हिन्दुस्तान सरकार 1955 पद्म श्री , 1973 पद्म भूषण और 1991 में पद्म विभूषण जैसे पुरस्कारों से नवाज़ चुकी है.
हुसैन साहब फिल्मकार भी है माधुरी दीक्षित अभिनीत गज गामिनी और तब्बू अभिनीत मीनाक्षी अ टेल ऑफ थ्री सिटिज़ उनके द्वारा निर्देशित फिल्में हैं. हुसैन साहब राज्य सभा के सम्माननीय सदस्य भी रह चुके हैं.
सिर्फ़ हिन्दुस्तान में ही नही बल्के विदेश में भी हुसैन साहब की बहुत इज़्ज़त है , फॉर्ब्स मॅगज़ीन ने तो उन्हे पिकासो ऑफ ईस्ट तक कहा है , और साओ पोलो आर्ट फेस्टिवल में पाब्लो पिकासो के साथ स्पेशल गेस्ट बन कर जलसे में शारीक़ हुए. यही नही अभी हाल ही में उनकी एक पैंटिंग तकरीबन १.६ मिलियन डॉलर्स में बिकी.
[पूरी खबर यहाँ पढ़ें :
http://www.tribuneindia.com/2004/20040417/nation.htm#8]
जाहिर है जब ऐसे ऊँची हस्ती हिन्दुस्तान में पैदा हुई है तो हर हिन्दुस्तानी को उन पर नाज़ होना चाहिए...
लेकिन इस से बड़ा सवाल यह है कि इस मुल्क़ में जो हुसैन साहब को जो इज़्ज़त दी गयी क्या उसके वो वाकई हक़दार हैं ?
जिस मुल्क़ में वह रहे वहाँ की अवाम ने उनकी कला को सराहा , जो लोग उनमे राजा रवि वर्मा की छवि देखते हैं जो उनकी कला के क़द्रदान हैं क्या उनके मज़हब और धार्मिक मान्यताओं की इज़्ज़त इन एम एफ हुसैन साहब ने की?
इसका जवाब यक़ीनन 'न' में ही होगा , जो उदारवादी और तथाकथित लिबरलिज़म के नुमाईंदे एम एफ हुसैन का बचाव बड़े जोश के साथ हिंदू वादियों से कर रहे थे वो अब किस मुँह से एम एफ हुसैन साहब की क्रियेटिविटी और वतन परस्ती की बात कहेंगे?
मुझे एम एफ हुसैन से ज़्यादा उनके समर्थकों के लिए बुरा लग रहा है एम एफ हुसैन के क़तरि नागरिक बनते ही उनके समर्थन में दी गयीं सारी दलीलें बेकार हो जातीं हैं.
मैं ऐसा क्यों सोचता हूँ इसके पीछे यह वजहें हैं.
1 .एम एफ हुसैन साहब का विरोध कुछ हिंदू और मुसलमान धार्मिक संगठन कर रहे हैं. कहने में भले ही यह बात थोड़ी अजीब लगे लेकिन सच्चाई यह है कि बहुत से मुसलमान भी उनके द्वारा हिंदू देवी देवताओं की नंगी पेंटिंग बनाने पर अपनी नाराज़गी जता चुके हैं.
2. एम एफ हुसैन साहब से मुसलमानों की नाराज़गी की वजह एक यह भी है की उनकी पिछले फिल्म मीनाक्षी : ए टेल ऑफ थ्री सिटीज़ के एक गाने नूर - उन -अला -नूर पर विवाद हुआ है . ऑल इंडिया उलेमा काउन्सिल ने एतराज़ जताते हुए इसे मज़हब के खिलाफ बताया . इस गाने के प्रोटेस्ट में अन्य मुस्लिम संस्थाएँ जैसे मिल्ली काउन्सिल, ऑल-इंडिया मुस्लिम काउन्सिल, रज़ा अकॅडमी, जमीयत-उल-उलेमा-ए-हिंद और जमात-ए-इस्लामी सड़क पर उतर आए थे और फिल्म को थियेटर्स से हटाने की माँग करने लगे
एम एफ हुसैन साहब पर आख़िरकार मज़हबी मुस्लिमों का दबाव काम कर गया और आख़िरकार उन्होने पूरी मुस्लिम क़ौम से माफी माँगते हुए तुरंत अपनी फिल्म थियेटर्स से उतारी.
[पूरी खबर यहाँ पढ़ें : http://ibnlive.in.com/news/masterstroke-husain-painting-fetches-16-
mn/61692-19.htm]
3. यहाँ यह बात गौर करने लायक़ है की हुसैन साहब मुसलमानों के एतराज़ जताने पर बिना शर्त मुआफी माँगते हुए फिल्म हटाते हैं वहीं बहुसंख्यक हिंदुओं के बार बार कहने पर हिंदू देवी देवताओं की नंगी पेंटिंग बना कर हिंदुओं की धार्मिक भावनाएँ आहत करने के लिए कोई मुआफी नही माँगते.
4. इन्ही हिंदुओं के धर्मग्रंथों पर आधारित पेंटिंग बना कर इन्होने खूब कमाई की है. इनकी बनाई डिप्टीक, जो 1.6 मिलियन डॉलर्स में क्रिस्टी साऊथ एशियन आर्ट एंड मॉडर्न कंटेंपोररी आर्ट सेल में बिकी है वह असल में महाभारत पर आधारित है.
[पूरी खबर यहाँ पढ़ें :http://ibnlive.in.com/news/masterstroke-husain-painting-fetches-16-
mn/61692-19.html]
5. हुसैन साहब जान और माल का ख़तरा होने के डर से दुबई में रह रहे हैं. उनके रिश्तेदारों और समर्थकों को यह ख़ौफ़ है की तथाकथित 'भगवा गुंडे' उन्हें मार ना डालें . जबकि असली बात तो यह है कि उनके विरोधी पूरे लोकतांत्रिक और क़ानूनी प्रक्रिया के साथ अपना विरोध जता रहे हैं.
पूरे हिन्दुस्तान में एम एफ हुसैन साहब के खिलाफ तक़रीबन 1250 कोर्ट केस पेंडिंग हैं. उन्ही से बचने के लिए वे गल्फ भाग गए. उनके बेटे के मुताबिक़ वह अब क़तर की नॅशनॅलिटी ले चुके हैं.
[पूरी खबर यहाँ पढ़ें :
http://timesofindia.indiatimes.com/entertainment/bollywood/news-
interviews/MF-Husain-accepts-Qatar-citizenship-says-
son/articleshow/5624157.cms.]
यहाँ सवाल यह उठता है की कल यदि हिन्दुस्तान की कोई अदलत एम एफ हुसैन साहब को सज़ा सुनाती है तो क्या अदालत के हुक्म पर एम एफ हुसैन साहब वापिस हिन्दुस्तान तशरीफ़ लाएँगे? क्या क़तर हिन्दुस्तान से अपने रिश्तों का तक़ाज़ा करते हुए उनका प्रत्यर्पण करेगा या पाकिस्तान की तरह उन पर अपने ही मुल्क़ में केस चलाने की बात कहेगा?
सनद रहे , गल्फ के सभी देशों के साथ हिन्दुस्तान की प्रत्यर्पण संधि नही है यही वजह है की हिन्दुस्तान के भगोड़े कैदी और वांटेड क्रिमिनल्स का अड्डा गल्फ है.
अनीस इब्राहिम के दुबई में पकड़े जाने पर क्बाइ ने दुबई पोलीस को एक्सट्रडिशन की रिक्वेस्ट भेजी थी जिसे ठुकराया गया और अनीस इब्राहिम को पाकिस्तान डिपोर्ट किया गया
[पढ़ें : http://www.expressindia.com/news/fullstory.php?newsid=19263]
इतने पर भी दुबई पुलिस के कलेजे को ठंडक न पहुचि तो उन्होने उल्टे भारत से दुबई में वांटेड क्रिमिनल्स के प्रत्यर्पण की माँग कर डाली और हिंदुस्तानियों को एक्सट्रडिशन के नियम समझाने लगे
[पढ़ें : http://timesofindia.indiatimes.com/world/Dubai-police-ask-India-to-
cooperate-on-extradition-issue/articleshow/37954386.cms]
6. क़तर घोषित रूप से इस्लामिक राष्ट्र है साथ ही साथ वहाँ राज शाही चलती है, ये सबको मालूम है की इस्लाम में पेंटिंग , गाना बजाना ग़लत माना गया है , ऐसे में सवाल यह है की क्या उन्हे वहाँ वह आज़ादी मिलेगी जो उन्हे एक सेक्युलर हिन्दुस्तान में मिलती थी? और जिसकी चाहत में वह क़तर की वतनियत क़ुबूल कर रहें हैं?
7. एम एफ हुसैन साहब यदि हिंदू देवी देवताओं की ऐसी तस्वीर बनाते तब भी कम से कम यह समझा जाता की वह हिंदुओं के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं
लेकिन एम एफ हुसैन साहब केवल इतने पर ही नही रुके. उन्होने भारत माता की नंगी पेंटिंग बनाई और अपनी गंदी सोच का मुज़ाहिरा किया .
भारत माता भारतीयों के लिए वही है जो ग्रेट ब्रिटन के लिए ब्रिटॅनिया
[ देखें : http://en.wikipedia.org/wiki/Britannia]
जर्मनी के लिए जरमेनिया [ देखें: http://en.wikipedia.org/wiki/Germania_%28personification%29] ,
रशिया के लिए मदर रशिया [देखें : http://en.wikipedia.org/wiki/Mother_Russia]
फ्रॅन्स के लिए मदर मेरियन [ देखें : http://en.wikipedia.org/wiki/Marianne],
और इंडोनेषिया के लिए आइबू पेरटीवी[देखें:http://en.wikipedia.org/wiki/Ibu_Pertiwi]
जाहिर है किसी भी मुल्क़ के लिए उसका "नॅशनल पर्सॉनिफिकेशन" काफ़ी मायने रखता है. मैं जानना चाहूँगा उन तमाम सेकुलरों से जो एम एफ हुसैन साहब की तरफ़दारी करते हैं [जिनमे काफ़ी मात्रा में बॉलीवुड के सेल्फ़ प्रोक्लेम्ड बुद्धिजीवी शामिल हैं] कि जब किसी बॉलीवुड आइटम गर्ल या एक्ट्रेस का चोरी से एम एम एस बनता है या तस्वीर मोर्फ की जाती है तो दोषी को पकड़वाने की पुरज़ोर कोशिश होती है और ऐसी घटिया मानसिकता के खिलाफ सभी एकजुट होते हैं , फिर हमारी क़ौमी शिनाख्त से खेल कर कोई सरफिरा इस तरह बदनाम कर रहा है तो उसकी खिलाफत करने में आप को साँप क्यों सूंघ जाता है? यह कैसी घटिया सोच है और कैसा घटिया आर्ट वर्क है और आप वाहियात लोग उनको हिन्दुस्तान की इज़्ज़त से इस तरह खेलने पर अप्रीशियेट कर भारत रत्न देने की माँग करते हैं.
हुसैन साहब जाएँ इस्लामिक मेजॉरिटी वाले इंडोनेषिया में और वहाँ आइबू पेरटीवी की ऐसी पेंटिंग बना कर देखें , वहाँ की सरकार उन्हें ज़हरीले कमोडो ड्रॅगन के साथ अंधे कुएँ में क़ैद कर देंगे या क़तर के राजपरिवार से ही ऐसी गुस्ताख़ी करने की सोच कर देखें क़तरि उनका वह हाल करेंगे की उनके फरिश्ते तक ये सबक याद रखेंगे
शीशे के तरह ये साफ बात है कि हुसैन साहब ने हिंदुओं के मज़हबी जसबात को चोट पहुचाई है लेकिन फिर भी फिल्ममेकर सईद मिर्ज़ा . महेश भट्ट , सोशियल एक्टिविस्ट नफीसा अली, थियेटर पर्सनॅलिटी एम के . रैना , मीडिया कर्मी प्रॅनाय रॉय , क्रिशन खन्ना , और शशि थरूर जैसे लोग उनको भारत रत्न देने की बात करते हैं. यह उनकी हिपोक्रेसी नही तो और क्या है????
रविवार, 28 फ़रवरी 2010
एम. एफ. हुसैन की कतरि वतनियत और सेक्युलरिस्ट्स की शैतानियत
लेबल:
आइबू पेरटीवी,
एम एफ हुसैन,
ब्रिटॅनिया,
भारत माता,
मदर मेरियन,
मदर रशिया
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आपका बिन्दुवार (पॉइंटवाइज), तर्कपूर्ण लेख बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंहुसैन का पक्ष लेने वाले इन सेकुलर शैतानों से एक बात पूछता हूँ -हुसैन ने कभी अपनी माँ कि नंगेज़ पेंटिंग क्यों नहीं बनाई- या ऐसी ही पेंटिंग ये लोग हुसैन से बनवा कर अपने ड्राइंग रूम में लगा पाएंगे।
जवाब देंहटाएंदेखिये सर जी, जिसने आप की माँ की नंगी पेंटिंग बनाई है उसके खिलाफ इतना बोलना बल्कि सौ पचास झापड़ मारना तक जायज़ है, लेकिन क्यों उन मूरतों के लिए यह सब किया जाना सही है जबकि जिन राजा महाराजाओं ने उन्हें उनके नाम से ऐसे ही रचा है (नंगा) उनके लिए आपका इतना भड़कना सही है..
जवाब देंहटाएंकिसी ने कल्पना करकर किसी देश की सीमा को माँ का ज़रिया दिया.. माँ तो यह प्रथ्वी है और वो एक है.. उसका एक टुकड़ा कैसे अलग से हमें पोषित कर सकता है उसपर उगी फसल तो हम खाते हैं लेकिन मासाहारी प्रवत्ति के कई आप लोग उसी मिट्टी पर पलने वाले शाकाहारी जानवर को खाते है, ये कैसा अम्मा अम्मा का ढोंग हैं ज़रा बताएँगे क्या वो हवा वो मौसम जो आपको पोषण देता है आपके और आपके बच्चों के लिए ज़रूरी है क्या सिर्फ उन्हीं सीमाओं के दायरे में बंधा है जिनकी आप पूजा करना चाहते हैं.. आखें खोलिए प्रेक्टिकल बनिए.. कल को आपके हाथ भी ब्रश होगा तो जो जी में आएगा बनायेंगे आप भी.. और अगर उससे ढेर सा पैसा मिलेगा तो सारी दुनिया के सामने लाकर उसकी बोली भी लगवाएंगे.. उसकी किस्मत बढ़िया है तो ये उसकी किस्मत है.. वो आपकी अपनी पर्सनल माँ की तो नंगी पेंटिंग्स नहीं बना रहा है ना.
सेलर साहब शायद ये आपकी फिलॉसोफी होगी अपनी माँ की नंगी तस्वीर बना - बेच कर पैसे कमाने की , सबकी आपके जैसी विकृत मानसिकता नही होती. आपने पैसा कमाना है कमाइए , बनाइए अपनी माँ बहन की नंगी तस्वीरें और बीच बाज़ार नुमाइश कीजिए , हमें भला क्या ऐतराज़ होगा ? लेकिन साहब अपनी वालिदा या माँ की तुलना भारत माँ से मत करिए , हर हिन्दुस्तानी के दिल में भारत माँ का स्थान उसकी जन्मदाती माँ से उँचा है.
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