पिछले दिनो आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री की हवाई हादसे में मौत के बाद से कईं राजनेताओं के पाँव ज़मीन पर आ टिके हैं . सपा की रामपुर से सांसद और बीते जमाने की अभिनेत्री जयाप्रदा तो अपने क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित इलाक़ों का दौरा करने बैलगाड़ी में बैठीं यह बात अलग है की उनके आँसू बाढ़ पीड़ितों की बदहाली देख कर नही बल्कि बैलगाड़ी में लगे झटकों से निकल रहे थे.
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http://www.deccanherald.com/content/25227/bullock-cart-ride-leaves-jaya.html
वैसे सादगी का प्रचार कर लोगों की हमदर्दी लूटने में देश की सबसे पुरानी और "धर्म निरपेक्षता" के लिए मशहूर और गाँधी परिवार की बपौती कांग्रेस पार्टी का कोई सानी नहीं. पार्टी के युवराज और देश के "भावी प्रधानमंत्री" राहुल गाँधी पिछले दीनो पंजाब के दौरे पर थे , अब इसे मितव्ययता ही कहिए या हवाई दुर्घटना का डर , कांग्रेस के राजकुमार बजाए विमान में बैठने के देश की सबसे आलीशान रेलगाड़ी में बैठे , और हम जैसे कईं युवाओं को फ़िज़ूलखर्ची न करने की सीख दे गए.
बात फ़िजूलखर्ची की होती तब भी ठीक था लेकिन यहाँ तो राहुल जी के दुर्घटना के डर से होश फाख्ता हो गए..... २-४ बच्चों ने खेतों से गुजरती शताब्दी एक्सप्रेस पर खेल खेल में पत्थर क्या मारा , राहुल जी की घिग्गी बँध गई और रेल अधिकारियों,पुलिस वालों की नाक कट गई.
खूब चीख पुकार मची , मीडीया पगला गया , चर्चा हुई , विचार विमर्श हुए कि नेताओं का बगैर पर्याप्त सुरक्षा के सफ़र करना उचित है या नहीं . कुछ बीते जमाने के बुढाए वफ़ादार कांग्रेसी चॅनल्स पर , एनक नाक पर टिकाए अपने "अनुभवी" विचार रखते नज़र आए और यह बताया की गाँधी परिवार के सदस्य कितने मिलनसार हैं और लोगों की तक़लीफें सुनने के लिए किसी भी प्रोटोकाल की परवाह नही करते वग़ैरह , वग़ैरह.
कुछ कांग्रेस द्वारा संचालित मीडीया वालों ने तो इतनी चिल्ला पुकार मचाई की मानो इस से पहले किसी भी ट्रेन पर पत्थर पड़े ही न हों . कुछ कांग्रेस भक्त पत्रकारों ने बाक़ायदा अपने अख़बारों में शताब्दी एक्सप्रेस पर पथराव होने की बात छापी .
कुछ वरिष्ठ कांग्रेसी दबी ज़ुबान में इस घटना का ज़िम्मेदार "विरोधी दलों" को बता रहे थे , जो पिछले आम चुनावों में मिली हार से कुंठित हैं. गोया इनको बच्चो की शरारत में भी राजनीति नज़र आती है? वाह साहब! वाह !!
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http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/5018089.cms
इस घटना के कुछ ही दिन पूर्व जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री का देहांत हवाई हादसे में हुआ था तब इन्ही कांग्रेसियों ने बड़ी बेशर्मी से यह खबर फैलाई थी की २०० लोगों ने रेड्डी की मौत के शोक में आत्महत्या कर ली ..... भारतीय इतिहास में सहानुभूति भुनाने का इससे घटिया उदाहरण शायद ही लोगों ने देखा होगा .
वैसे कांग्रेस चुनाव मुद्दों पर नही बल्कि जनता की हमदर्दी लूट कर जीतती रही है , जब पंडित नेहरू सिधारे तो इंदिरा जी "बेचारी" बन कर जनता से वोट माँगी , १९७८-८० के दौरान इंदिरा जी को अकेला छोड़ कईं कांग्रेसी मौका लपक लिए तब वे एक बार फिर बेचारी बन गईं और सत्ता में वापस लौटीं.
सन ८४ में उनकी मौत के बाद राजीव गाँधी बेचारे बन गए और खूब वोट पाए. १९९१ से लेकर अब तलक सोनिया जी और राहुल गाँधी 'बेचारे' बने हुए हैं और हमारी जनता उनसे हमदर्दी जताने के लिए वोट दिए जा रही हैं. जाहिर है जनता की हमदर्दी पर जीने वालों को कभी कभार जंटस ए अपनी नज़दीकी दिखाने के लिए कभी कभार अपने पाँव ज़मीन पर टीकाने पड़ते हैं इसलिए रेल यात्राओं की नौटंकी करनी पड़ती है. खर्च में कटौती का दिखावा करने के लिए विदेश मंत्रियों को पाँच सितारा होटेल से मामूली लॉज में शिफ्ट होना पड़ता है. हम समझ सकते हैं की शशि थरूर इस बात से कितने परेशान होंगे की उनको अपनी जीवनशैली बदलना पड़ रही है , इसी बात से गुस्साए शशि जी ने मज़ाक में कह दिया इकॉनोमी क्लास , मवेशियों का क्लास है , यह कहने की देर थी की मानो गजब हो गया. कांग्रेस के वरिष्ठ मवेशी .... म..माफ़ करिएगा वरिष्ठ नेतागण भड़क गए और इस्तीफ़े की माँग कर डाली.
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http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/5019173.cms
कांग्रेस के इस विवाद ने भी मीडीया कर्मियों के लिए अच्छा मसाला दे दिया. खैर, ट्रेन पर पत्थर पड़ने से ही सही , राहुल जी आम आदमी की मुश्किलों से रु-ब-रु तो हुए , यह सोचिए क्या होता यदि राहुल जी बजाए शताब्दी में सफ़र करने के किसी मामूली पॅसेंजर गाड़ी में जाते? कुछ हिजड़ों की टोली पैसे की उगाही करने उनके पास आती और राहुल जी उनकी समस्याएँ सुनने का दिखावा करते ,और शायद उनके साथ नाचते गाते. और हमारा बचकाना मीडीया बड़े ही भोंडे तरीके से हर बार की तरह इस बार भी राहुल गाँधी का गुणगान करेगा
सोमवार, 21 सितंबर 2009
राहुल गाँधी , कांग्रेस और मीडीया की चिल्ला-पुकार .
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समझ मे नही आता इन बातो को इतना तूल क्यों देते है ? देश मे और समस्याये नही है क्या ?
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